रिपोर्ट- ईश्वर दीन साहू
प्रयागराज : दायरा शाह अजमल कच्ची हवेली में हर साल की तरह इस साल भी करबला के शहीदों की याद में मजलिस का आयोजन हुआ ये मजलिस मरहूम सय्यद नूह रिज़वी के आवास पर करबला की शहादत पर पुरसा पेश करने के लिए हज़ारों हुसैनी अज़ादार के बीच की गई और करबला के उन बहत्तर शहीदों को पुरसा पेश किया गया जिन्होंने करबला में मोहम्मद साहब के दीन को बचाने के लिए ख़ुदा की राह में सब कुछ कुर्बान कर दिया करबला में एक यजीद नामक ऐसा व्यक्ति था जो इस्लाम के बताए हुवे रस्ते से हट कर काम करता था और अपना बनाया हुआ कानून चलाना चाहता था लेकिन इमाम हुसैन उसके बनाए हुवे गलत कानून का विरोध कर रहे थे जिसकी वजह से यजीद इमाम हुसैन के साथ अत्याचार कर रहा था हुसैन के घराने पर पानी तक बंद कर दिया वो सोच रहा था कि हुसैन मेरी शर्तें मन लेंगे लेकिन हुसैन ने उसके अत्याचारों का डट कर मुकाबला किया और इस्लाम को बचा लिया इस मजलिस को मौलाना अख्तर हसन रिज़वी ने खेताब किया सोज ख्वानी फैजान आब्दी ने किया, हजारों आजादारों के बीच प्रयागराज बख्शी बाज़ार की अंजुमन गुनचए कासिम्या से न्याजुल हसन, हाशिम बांदवी,यासिर मंज़ूर, जिब्रान रिज़वी, मोहममद मेंहेनदी,सय्यद हैदर मेंहदी, आबिद हुसैन, फैज़ रज़ा, नाज़िर हुसैन, मिर्ज़ा शीराज़, मिर्ज़ा साहिब, सादिक रिज़वी, अलमदार हुसैन,अम्मार रिज़वी, सीना जनी करते हुवे बेहतरीन कलाम पेश किए करबला में इमाम हुसैन ने यजीद के अत्याचारों का डट कर मुकाबला किया लेकिन इस्लाम पर कोई आंच नहीं आने दी इमाम हुसैन ने इस्लाम को बचाने के लिए अपने छै महीने के बेटे अली असगर को भी कुर्बान कर दिया हजारों की संख्या में हुसैनियों ने मजलिस में शिरकत कर के करबला वालों को पुरसा पेश किया बाद मजलिस मोहम्मद मोहम्मद असकरी उर्फ मुन्ने भाई ने तबर्रुक तकसीम किया सय्यद नक़वी, सय्यद तकी आब्दी उर्फ अर्शु, अनवर रिज़वी, डाक्टर अज़हर रिज़वी, ने मजलिस का सकुशल संचालन किया।
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