बागपत- नदीम कुरैशी
बागपत : शहजाद राय शोध संस्थान में मौजूद है भारतीय सभ्यता का महत्वपूर्ण खजाना- डॉ. धर्मबीर शर्मा बडोत संवाददाता बडोत नगर में प्रेस वार्ता करते हुए अमित राय जैन कहा की। ● शहजाद राय शोध संस्थान में संग्रहित लोहयुग के अस्त्र शस्त्रों पर भारत सरकार के सहयोग से किया जाएगा शोध, प्रोजेक्ट किया जाएगा तैयार। ● इतिहासकार अमित राय जैन से मिलने पहुंचे सिनौली उत्खनन के प्रथम निदेशक पूराविद डॉ. धर्मबीर शर्मा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के वरिष्ठ पूराविद डॉ. धर्मबीर शर्मा आज बड़ौत के शहजाद राय शोध संस्थान में इतिहासकार डॉ अमित राय जैन से मिलने पहुंचे! डॉ. जैन से मिलकर धर्मबीर शर्मा ने कहा कि शहजाद राय शोध संस्थान में संग्रहित लोहयुग के अस्त्र शस्त्रों का दुर्लभ संग्रह मौजूद है, जिस पर वैश्विक रूप से शोध एवं अनुसंधान किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि शहजाद राय शोध संस्थान में मौजूद संपूर्ण भारतवर्ष के विभिन्न राज्यों से संग्रहित लोहयुग के हथियार संग्रह में कुल्हाड़ी, हथौड़े और विभिन्न प्रकार के कृषि कार्यों में प्रयोग होने वाले उपकरणों का अत्यंत दुर्लभ एवं महत्वपूर्ण संग्रह है। आवश्यकता है कि भारत की प्राचीन लोहे को गलाने एवं लोहे के उपयोग की प्रणाली से पर्दा उठाने के लिए इस संग्रह पर विश्व स्तर का शोध किया जाए ! आज उनके आने का उद्देश्य सिनौली, तिलवाड़ा से भारत में पहली बार प्राप्त हुए युद्ध रथ के उत्खनन कार्यों के विषय में चर्चा करना तथा लोहयुग की प्रस्तुत सामग्री पर एक प्रोजेक्ट बनाकर भारत सरकार के माध्यम से कार्बन डेटिंग इत्यादि की व्यवस्था करना है। दरअसल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के द्वारा दक्षिण भारत के विभिन्न प्रांतो एवं पूरास्थलों से प्राप्त लोहयुग सभ्यता के अस्त्र शस्त्रों एवं उपकरणों की कार्बन डेटिंग कराई गई! जिसमें पता चला है कि इन लोहे से बने हुए शास्त्रों की आयु करीब 4000 वर्ष तक जा रही है! यह पहली बार है कि भारत की लोहे को गलाने की प्रणाली तथा लोहे के उपयोग आदि के विषय में भारत की प्राचीनतम सभ्यताओं के लोगों के कौशल पर शोध कार्य हुआ है। इस संबंध में इतिहासकार अमित राय जैन ने बताया कि महाराष्ट्र के इनामगांव उत्खनन से 1960 के दशक में पहली बार अच्छी खासी संख्या में लोहे के पुरापाषाण युग के हथियार एक कब्र से मिले थे जिन पर शोध कार्य के दौरान उनकी आयु के विषय में लोग अज्ञात थे। शहजाद राय शोध संस्थान में भारत की प्राचीन धातु गलन प्रणाली के ताम्रयुगीन शास्त्रों के साथ-साथ लोहे से बने शास्त्रों एवं उपकरणों का भी अच्छा खासा संग्रह मौजूद है! जिस पर विश्व स्तरीय शोध की तैयारी की जा रही है! इस विषय में जानकारी देते हुए वरिष्ठ इतिहासकार डॉ अमित राय जैन ने बताया कि यह सभी लोहे से बने हुए अस्त्र-शस्त्र पिछले दो दशकों के दौरान संपूर्ण भारत में भ्रमण करके उन्होंने स्थल निरीक्षण आदि सर्वेक्षणों के दौरान प्राप्त किए हैं! जिस पर अब इतने लंबे समय के बाद एक विशिष्ट प्रोजेक्ट बनाकर के भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय तथा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को भेजा जा रहा है! ताकि इन अस्त्र शस्त्रों की आयु कार्बन डेटिंग के माध्यम से पता की जा सके तथा उनकी उपयोग आदि के विषय में भी संपूर्ण विश्व को जानकारी प्रदान की जा सके।
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