रिपोर्ट- ईश्वर दीन साहू
फतेहपुर : 17 अगस्त बहेरा सादात में करबला के शहीदों की याद में हुई जिसमें छोटे छोटे बच्चों ने हाथों में शमा जलाकर जुलूस को धीरे धीरे आगे बढ़ाया मजलिस को अंबेडकरनगर के मौलाना सय्यद अज़ीम रिज़वी ने नसीर हुसैन के बड़े इमाम बाड़े में पढ़ी और करबला की शहादत पर रौशनी डालते हुवे बताया की करबला में इमाम हुसैन के साथ साथ उनका वफादार घोड़ा भी प्यासा रहा घोड़े ने जानवर हो कर करबला के उन यजीदियों को बता दिया की देखो हम जानवर जरूर हैं लेकिन इतना समझते हैं की हुसैन हक पर हैं और हुसैन ही दीन को कायम रखने वाले हैं लेकिन यजीदियोँ की किस्मत में तो जहन्नम की आग लिखी थी वो कैसे समझते दीन क्या है और इस्लाम क्या है इमाम हुसैन के घोड़े ने अपने हुसैन के साथ जो वफादारी पेश की आज दुनिया के कोने कोने में घोड़े को दुलदुल की शक्ल में सजा कर जो इज्जत बख्शी जाती है उससे पता चलता है की यजीदी फौज जानवर से भी बत्तर थी जिसने रसूल के नवासों को कूफे से बारा हज़ार खत भेज कर करबला बुलाया और फिर उनको तीन दिनों तक प्यासा रख कर शहीद कर दिया इसी क्रम में आज बहेरा सादात के बड़े इमाम बाड़े से दुलदुल का जुलूस मोमबत्ती की रौशनी में निकला गया और मातम करते हुवे जुलूस मरहूम हिदायत अली के आवास पर पहोंचा जहां इमाम हुसैन के ताबूत से हुसैन के वफादार घोड़े यानी दुलदुल से मिलाप हुआ जिसे देखने के लिए आस पास के गांव से हजारों की भीड़ जमा हुई अंजुमन जुल्फेकार हैदरी के बच्चों ने मातम किया मोहम्मद अब्बास और हाशिम ने सवारी पढ़ते हुवे जुलूस को आगे बढ़ाया कोर्रा सादात के मशहूर नोहा खान जर्रार पठान ने बेहतरीन कलाम पेश किए मंडवा सादात से सफदर मीर साहब के बेटे ने नोहा पढ़ कर ईमा हुसैन को पुरसा पेश किया इस मौके पर थाना सुल्तानपुर घोष के एस,आई, शिवकुमार, एस आई इबरार खान अपने हमराहियों के साथ मौजूद रहे आयोजक पत्रकार शहंशाह आब्दी ने बहेरा सादात की अंजुमन जुल्फेकार हैदरी की तरफ़ से हुसैनी आजादरों का आभार व्यक्ति किया
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