रिपोर्ट- ईश्वर दीन साहू
लखनऊ : अभी कुछ दिनों पहले नेपाल में सेना के द्वारा तख्तापलट कर दिया गया है, जिससे वहाँ कि सरकार गिर गयी हैँ, उस तख्तापलट से कई देश के उद्योगपतियों को और सरकार को काफ़ी नुकसान का सामना करना पड़ रहा हैँ, नेपाल को भारत से तेल, दवाईयों से लेकर मशीनरी और इलेक्ट्रॉनिक्स तक बड़ी मात्रा में निर्यात होता है. 2024 के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने नेपाल को 2.19 अरब डॉलर के पेट्रोलियम उत्पाद निर्यात किए, जो नेपाल की तेल आवश्यकताओं का एक बड़ा हिस्सा था और नेपाल, दुनिया की दो सबसे बड़ी और सबसे तेज़ी से बढ़तीअर्थव्यवस्थाओं, भारत और चीन, के बीच रणनीतिक रूप से स्थित है। यह द्विपक्षीय व्यापार और निवेश के लिए उनके बाज़ारों तक बेजोड़ और तरजीही पहुँच प्रदान करता है। भारत नेपाल के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार भी हैं। भारत नेपाल से जूस, खली, जूट के सामान, हस्तशिल्प, नूडल्स, ऊनी कालीन और पॉलिएस्टर धागा आयात करता है। दुनिया भर के सभी देशों में आयात प्रक्रियाएँ लगभग एक जैसी हैं। बीते साल 2024 में भारत के नेपाल से आयात के आंकड़ों पर नजर डालें, तो वहां से सबसे ज्यादा वनस्पति तेल और वसा का आयात किया गया है, जो 152.71 मिलियन डॉलर का रहा है. इसके अलावा इस्पात (101.10 मिलियन डॉलर), कॉफी-चाय, मसालों का 98.05 मिलियन डॉलर का आयात किया गया. लकड़ी और लकड़ी से बने सामानों का आयात 70.89 मिलियन डॉलर का रहा हैँ अभी मौजूदा हाल मे नेपाल कि स्थिति को देखते हुए सभी उद्योगपतियों के माल का आवागमन और गाड़िया ट्रेलर सब के सब फसे हुये है। जिससे लगभग 3000/ करोड़ का नुकसान हो चुका है। और व्यापारियों व उद्योगपतियों में निराशा फैली है। रामबाबू रस्तोगी। प्रदेश अध्यक्ष सामाजिक उद्योग व्यापार मण्डल लखनऊ यू.पी.
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