Friday, June 7, 2024

आजाद हॉस्पिटल ने ली एक और महिला की जान ,ग्रामीणों ने किया जमकर हंगामा।

 बिजनौर ब्यूरो आकिफ हुसैन 
 आपको बता दें जनपद बिजनौर नजीबाबाद मे जहाँ गुरुवार को आजाद हॉस्पिटल में उस समय ग्रामीणों ने जमकर हंगामा किया जब महिला की मौत हो गई महिला का शव लाकर ग्रामीणों ने आजाद हॉस्पिटल में जमकर हंगामा किया बात तब बढ़ गई जब इस हंगामे में आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ता भी कूद पड़े और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की बात करने लगे। 
प्राप्त जानकारी के अनुसार रूबी पत्नी विपिन गांव खलीलपुर पोस्ट सहारनपुर जिसकी उम्र लगभग 25 वर्ष बताई जा रही है जिसको बच्चे की डिलीवरी के लिए आजाद हॉस्पिटल में 25 मई 2024 को आजाद हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया आजाद हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने महिला का ऑपरेशन गलत तरीके से कर दिया बताया जाता है कि गलत तरीके से ऑपरेशन करने पर महिला के शरीर में इंफेक्शन फैल गया ऑपरेशन में महिला ने बच्चों को जन्म दिया इसके पश्चात उसकी तबीयत खराब होनी शुरू हो गई। आजाद हॉस्पिटल ने मामला अपने हाथों से निकलता देख मरिज महिला को अस्पताल से छुट्टी दे दी इसके पश्चात महिला के परिवार वाले उसको लेकर नजीबाबाद के निजी अस्पताल पहुंचे जहां पर अस्पताल वालों ने बताया कि महिला को नहीं बचाया जा सकता क्योंकि जहां इस महिला की डिलीवरी कराई गई थी उन्होंने महिला का केस बिगाड़ दिया।  इसके पश्चात महिला के परिवार वाले कई हॉस्पिटल में लेकर महिला को गए लेकिन सभी हॉस्पिटल के डॉक्टर ने यह कहकर अपने यहां एडमिट करने से मना कर दिया कि इस महिला की डिलीवरी जहां कराई गई थी वहां के डॉक्टर द्वारा इस महिला का केस बिगाड़ दिया गया।  जिसके कारण उसकी जान हो बचाना उन डॉक्टरों के हाथ में नहीं है।  
आपको जानकारी देते चले की आजाद हॉस्पिटल का यह मामला कोई पहला मामला नहीं है पहले भी इस अस्पताल में अस्पताल के डॉक्टर द्वारा कई केस बिगाड़े जा चुके हैं जिसके कारण मरीज को अपनी जान गंवानी पड़ी लेकिन खास बात तो यह है कि इन सब के बावजूद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी जांच के नाम पर लीपा पोती करके चले जाते हैं और कुछ समय पश्चात अस्पताल का काम सुचारू रूप से शुरू कर दिया जाता है। इन लोगों पर मरीज की मौत का कोई दुख नहीं होता।  क्योंकि यह लोग पीड़ित परिवार के ऊपर दबाव बनाकर ओने पोने में पैसे देकर फैसला कर लेते हैं। बताया जाता है कि इस केस में भी फील गुड की डील गुड़ हुई है  या झूठा मुकदमा में फंसाने की धमकी दे देते हैं। जिसके कारण इन अस्पतालों के लिए इंसान की जान की कोई कीमत ही नहीं है।  
वहीं अगर सूत्रों की माने तो नजीबाबाद का आजाद हॉस्पिटल नोसीखयो द्वारा चलाए जा रहा है और खास बात तो यह है कि इन सब बातों को स्वास्थ्य विभाग को भी भली भांति ज्ञान है।  लेकिन इन सबके बावजूद स्वास्थ्य विभाग द्वारा ऐसे अस्पताल पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती। 
गुरुवार को जब महिला की मृत्यु होने के पश्चात ग्रामीणों द्वारा आजाद हॉस्पिटल जमकर हंगामा किया गया तो वहां आजाद समाज पार्टी के नेता और कार्यकर्ता बड़ी मात्रा में एकत्र हो गए जिन्होंने जमकर हंगामा किया और आजाद हॉस्पिटल को बंद करो बंद करो के नारे लगाएं। पुलिस प्रशासन पहले से ही आजाद हॉस्पिटल में मामले को देख रहा था मामला हाथ से निकलता देख पुलिस कर्मियों ने अपने बड़े अधिकारियों को फोन कर तुरंत मौके वारदात तक पहुंचाने की बात है वही अस्पताल मालिकों द्वारा पीड़िता के परिवार वालों से लगातार समझौते का दबाव बनाया जा रहा था जिससे कि मामलों को तुल ना दिया जा सके। अस्पताल स्वामी द्वारा मामले को बढ़ता देख तुरंत पीड़िता के परिवार वालों से उनकी मांगों के समझौते पर सहमति बनी और आनंद-फानन में मामले को निपटाया गया। सूत्रों के अनुसार आजाद हॉस्पिटल द्वारा पीड़ित परिवार को साढे चार लाख रुपए का मुआवजे के तौर पर देने की बात सामने आई है 
अब सवाल यह उठता है कि
क्या ऐसे ही अस्पतालों में मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ होता रहेगा?क्या अस्पताल वालों के लिए मरीजों की जान की कोई कीमत नहीं है? यह बातें प्रदेश की सरकार पर कहीं ना कहीं प्रश्न चिन्ह लगती है।  क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा  बैठे नुमाइंदे कहीं ना कहीं अपने लाभ के लिए सरकार की छवि धूमिल करने में लगे हुए हैं। जिसके कारण प्रदेश सरकार की साख पर बट्टा लग रहा है।

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